शिबू सोरेन का निधन: झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत
तारीख: 4 अगस्त 2025
स्थान: रांची, झारखंड
✝️ शोक की लहर: झारखंड मुक्ति मोर्चा के संरक्षक शिबू सोरेन नहीं रहे
झारखंड की राजनीति को एक नई दिशा देने वाले और आदिवासी अधिकारों की आवाज़ बुलंद करने वाले शिबू सोरेन का निधन 81 वर्ष की आयु में हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और रांची के रिम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।
🔹 शिबू सोरेन: एक संक्षिप्त जीवनी
- जन्म: 11 जनवरी 1944, रामगढ़, झारखंड
- राजनीतिक पार्टी: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)
- मुख्यमंत्री कार्यकाल: तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने (2005, 2008 और 2009)
- सांसद: कई बार लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहे
- लोकप्रिय नाम: “गुरुजी”
🛡️ 1. झारखंड अलग राज्य की मांग को राष्ट्रीय आंदोलन में बदलना
- 1970 के दशक में शिबू सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की।
- उन्होंने आदिवासियों के लिए अलग झारखंड राज्य की मांग को लेकर जनांदोलन छेड़ा।
- 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ — यह आंदोलन की ऐतिहासिक जीत थी।
👩🌾 2. आदिवासियों के भूमि अधिकार के लिए संघर्ष
- सोरेन ने भूमि अधिग्रहण और बाहरी लोगों द्वारा जमीन हड़पने के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
- उन्होंने कई आदिवासी क्षेत्रों में जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए और कानूनी सहारा लिया।
⚖️ 3. “दिशोम गुरु” की भूमिका और सामाजिक न्याय
- शिबू सोरेन को झारखंड के लोग सम्मानपूर्वक “दिशोम गुरु” कहते हैं, जिसका अर्थ है “जनजातीयों का मार्गदर्शक”।
- उन्होंने आदिवासियों और वंचित वर्गों के लिए न्याय, शिक्षा, और स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग को सदन में जोरशोर से उठाया।
🗳️ 4. झारखंड के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यकाल
- वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने (2005, 2008, 2009)।
- केंद्र में कोयला मंत्री भी रहे (2004-2005), और कोयला नीति को पारदर्शी बनाने की दिशा में काम किया।

🏞️ 5. क्षेत्रीय भाषाओं और संस्कृति के संरक्षण की वकालत
- शिबू सोरेन ने संथाली, हो, मुंडारी जैसी स्थानीय भाषाओं को सरकारी मान्यता दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी।
- उन्होंने झारखंडी लोक संस्कृति और पारंपरिक त्योहारों को संरक्षित रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
📚 6. झारखंड में शिक्षा और रोज़गार के लिए योजनाएं
- उन्होंने आदिवासी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति, और स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देकर नौकरियों में आरक्षण की नीति का समर्थन किया।
🔥 7. ‘सोना सोबरण धोती योजना’, ‘पोटो हो खेल योजना’ जैसी लोकल स्कीमें
- झारखंड की पिछली JMM सरकार के कार्यकाल में ऐसी कई जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की गईं जिनका विचार स्रोत शिबू सोरेन के दर्शन में था।
🛑 8. बाहरी पूंजी और कॉरपोरेट लूट के खिलाफ जनविरोध
- शिबू सोरेन ने खनिज संपन्न इलाकों में कॉरपोरेट कंपनियों के प्रवेश के खिलाफ आवाज़ उठाई जब वे स्थानीय हितों को नज़रअंदाज़ कर रही थीं।
✊ निष्कर्ष:
शिबू सोरेन केवल एक राजनेता नहीं थे, वे आदिवासी चेतना के प्रतीक, संघर्ष के योद्धा, और झारखंड के सांस्कृतिक रक्षक थे। उन्होंने झारखंड को भारत के राजनीतिक मानचित्र पर एक स्वायत्त, सशक्त राज्य के रूप में स्थापित करने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई।
🧭 आदिवासी आंदोलन से संसद तक
शिबू सोरेन ने झारखंड राज्य की मांग को एक जन आंदोलन में बदला। उन्होंने आदिवासी भूमि अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष किया और 1970 के दशक में झारखंड आंदोलन को एक सशक्त मंच दिया।
उनके प्रयासों के कारण झारखंड 2000 में बिहार से अलग होकर एक नया राज्य बना। सोरेन न सिर्फ एक नेता थे, बल्कि झारखंड के लिए एक प्रतीक बन चुके थे।
🗣️ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर गहरा शोक प्रकट किया:
“शिबू सोरेन जी के निधन से झारखंड ही नहीं, पूरा देश शोक में डूबा है। उन्होंने आदिवासी समाज के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।”
🛕 अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़
रांची में हजारों की संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शन को पहुंचे। झारखंड सरकार ने राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया।

🔎 विवादों से भी जुड़ा रहा सफर
- 1994 में शिबू सोरेन पर हत्या और भ्रष्टाचार जैसे मामलों का भी आरोप लगा था। हालांकि बाद में वे निर्दोष साबित हुए।
- राजनीति के हर दौर में उनकी उपस्थिति मजबूत रही और उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी जनता का विश्वास नहीं खोया।
🧠 UPSC दृष्टिकोण से प्रासंगिक बिंदु
- राज्य पुनर्गठन और आदिवासी सशक्तिकरण जैसे विषयों में शिबू सोरेन का योगदान UPSC के GS Paper 2 और Essay पेपर में उपयोगी हो सकता है।
- झारखंड आंदोलन, राजनीतिक भ्रष्टाचार, और केंद्र-राज्य संबंध जैसे विषयों में उनका नाम महत्त्वपूर्ण है।
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✍️ लेखक परिचय
सिद्धार्थ तिवारी, Mudda Bharat Ka के संस्थापक और लेखक हैं। वे UPSC, अंतरराष्ट्रीय राजनीति और रणनीतिक मामलों पर गहन विश्लेषणात्मक लेखन के लिए जाने जाते हैं। उनका उद्देश्य है – भारत के युवाओं को जागरूक और नीति-चिंतनशील बनाना।
🌐 वेबसाइट: www.muddabharatka.com
📸 Instagram: @officesiddharthtiwari
बहुत अच्छा कंटेंट है very useful
thanks for feedback